उसने कभी अपनी श्रेष्ठता का बखान नहीं किया लेकिन जिस स्वाभिमान से वह खड़ा है वह जानता है कि वह कितना महान है। ढोसी की पहाड़ी अरावली पर्वत श्रंखला की एक पहाड़ी है जो हरियाणा के नारनौल शहर के पास है स्तिथ है और वर्तमान में ये पवित्र धाम है| कई लाख साल पहले ये एक ज्वालामुखी था लेकिन वर्तमान में ये निष्क्रिय ज्वालामुखी है| बताया जाता है कि 2 लाख साल पहले आखरी बार यहां लावा विस्फोट हुआ था जिसका प्रमाण पहाड़ी पर बिखरा लावा है जो इतने साल में पत्थर बन गया। ना केवल ज्वालामुखी बल्कि ढोसी की पहाड़ी का भारत की संस्कृति और इतिहास में विशेष स्थान है। इस पहाड़ी का जिक्र हमें हिन्दू पुराणों और महाभारत में मिलता है। महाभारत के अनुसार अज्ञात वास के दौरान पांडव यहां इसी पहाड़ी पर रुके थे। केवल यही नहीं बल्कि हिंदुओ के प्रमुख वेद भी इसी पहाड़ी पर लिखे गए थे और आयुर्वेद की सबसे बड़ी औषधि च्यवनप्राश की खोज भी नारनौल में ढोसी की पहाड़ी पर हुई थी। पहाड़ी के बीच मौजूद वो जगह जहां महर्षि च्यवन ने तप किया और आयुर्वेद सिखाया| इसके अलावा भी कई सारी कहानियां है ढोसी की पहाड़...
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